लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?

शेकर विहार में सुमति के बहुत से यजमान रहते थे, जिनको वह गंडा बाँटते थे। इन गंडों को बाँटने में अधिक समय लगता था। लेखक को लगा कि सुमति अगर यजमान से मिलने गए तो वो हफ्ता भर वहीं लगा देंगे। इसलिए लेखक ने सुमति को यजमानों के पास जाने से रोका।

लेखक को शेकर विहार के ही एक मंदिर में बुद्धवचन-अनुवाद की 103 पोथियाँ मिल गईं। लेखक को पढ़ने का शौक था। उन्होंने किताबें उठाईं और पढ़ना शुरू कर दिया। वो किताबों में लीन हो चुके थे। इसलिए उसने दूसरी बार सुमति को रोकने का प्रयास नहीं किया क्योंकि अब लेखक के पास वक्त गुजारने का एक बेहतरीन साधन मिल गया था|


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